google-site-verification=V7DUfmptFdKQ7u3NX46Pf1mdZXw3czed11LESXXzpyo पर्यावरण को हानि पहुंचने से पृथ्वी पर होने वाले दुष्प्रभाव Skip to main content

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What is the right in the Indian constitution? Or what is a fundamental right? भारतीय संविधान में अधिकार क्या है ? या मौलिक अधिकार क्या है ?

  भारतीय संविधान में अधिकार क्या है   ? या मौलिक अधिकार क्या है ?   दोस्तों आज के युग में हम सबको मालूम होना चाहिए की हमारे अधिकार क्या है , और उनका हम किन किन बातो के लिए उपयोग कर सकते है | जैसा की आप सब जानते है आज कल कितने फ्रॉड और लोगो पर अत्याचार होते है पर फिर भी लोग उनकी शिकायत दर्ज नही करवाते क्यूंकि उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी ही नहीं होती | आज हम अपने अधिकारों के बारे में जानेगे |   अधिकारों की संख्या आप जानते है की हमारा संविधान हमें छ: मौलिक आधार देता है , हम सबको इन अधिकारों का सही ज्ञान होना चाहिए , तो चलिए हम एक – एक करके अपने अधिकारों के बारे में जानते है |     https://www.edukaj.in/2023/02/what-is-earthquake.html 1.    समानता का अधिकार जैसा की नाम से ही पता चल रहा है समानता का अधिकार मतलब कानून की नजर में चाहे व्यक्ति किसी भी पद पर या उसका कोई भी दर्जा हो कानून की नजर में एक आम व्यक्ति और एक पदाधिकारी व्यक्ति की स्थिति समान होगी | इसे कानून का राज भी कहा जाता है जिसका अर्थ हे कोई भी व्यक्ति कानून से उपर नही है | सरकारी नौकरियों पर भी यही स

पर्यावरण को हानि पहुंचने से पृथ्वी पर होने वाले दुष्प्रभाव

 पर्यावरण को हानि पहुंचने से पृथ्वी पर होने वाले दुष्प्रभाव 


धरती पर प्रकृति संतुलन -  दिल्ली में विश्व पर्यावरण और विकास आयोग की जुलाई 1987 में दो दिवसीय अधिवेशन हुआ। इसमें पहली बार धरती को कायम रखते हुए आर्थिक विकास पर बल दिया गया । अब सरकारों से ज्यादा गैर सरकारी संगठनों का सहयोग प्राप्त करने का इरादा है , क्योंकि लोग ही सरकार की आंख खोल सकते है । प्रदूषण को रोकने के लिए यदि प्रतिबद्धता पूर्वक प्रयास हो तो इसका निराकरण किया जा सकता है । विज्ञान ने ऐसे आविष्कार कर लिए हैं , जिससे इसको काबू में रखा जा सकता है ।


मुख्य संकट - पर्यावरण संकट तो मात्र बाह्मा लक्षण है । मूल सम्बन्धों में परिवर्तन प्रमुख संकट है । वह भी यह की मनुष्य प्रकृति पर निर्भर रहना छोड़कर यंत्रों के अधीन होता गया । जिसके कारण मनुष्य की मनोवृत्ति ज्यादा से ज्यादा आक्रमणकारी और क्रूर होती गई । ज्यादा तेज रफ्तार से मनुष्य प्रकृति को काटकर नष्ट करता जा रहा है । ऊर्जा की ज्यादा मांग इसका मुख्य कारण है । लेकिन इसके साथ मनुष्यों का शोषण ही बढ़ता जा रहा है ।

             यांत्रिकीकरण की प्रवृति ने मानव जीवन पर बड़ा ही व्यापक प्रभाव डाला है । यन्त्र , जो मनुष्य पर प्रभुत्व जमाने और उसे बुरी तरह अपना गुलाम बनने के इरादे से आये , उनके लिए एक और कच्चे माल और ऊर्जा की निरंतर आवश्यकता बनी रहती है और दूसरी ओर मनुष्यों कि जरूरत कम से कम होती है।  इसीलिए लाखो लोग , जो सीमित व्यक्ति कहे जाते है , समाज में किसी काम के नहीं रहे । इस स्थिति कि चरम सीमा यह है कि खुद मनुष्य ही फालतू और व्यर्थ हो गया है ।


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बाढ़ -  विश्व में बाढ़ से सर्वाधिक जनहानि बांग्लादेश में होती है । विश्व की लगभग 20 प्रतिशत बाढ़जनित जनहानि भारत में होती है । यद्यपि बाढ़ के लिए प्राकृतिक कारक जिम्मेदार होते है इसके बावजूद बाढ़ कि प्रभावशाली बढ़ाने और जल प्रवाह को वेग देने में मानवीय कारकों की भूमिका भी होती है । इनमे वनक्षेत्र व वनस्पति घनत्व में निरन्तर कमी , नदियों पर तटबन्धो का निर्माण , जल निकास व्यवस्था का अभाव , अनियोजित नगरीकरण , औद्योगिकरण , अधिक सिंचाई से मिट्टी की जलग्रहण क्षमता का ह्रास आदि मुख्य कारण है । इसके अतिरिक्त सूक्ष्म जलवायविक बदलाव भी बाढ़ कि संभावना को बढ़ाते है ।

     भारत सरकार ने बाढ़ से होने वाली हानि को कम करने के उद्देश्य से 1954 में राष्ट्रीय बाढ़ आयोग का गठन किया । आयोगल अनुसार भारत का लगभग 76.6 लाख हैक्टेयर क्षेत्र बाढ़ प्रभावी है । बाढ़ नियंत्रण के लिए अनेक योजनाएं क्रियान्वित की गई है , किन्तु अभी भी हर वर्ष गंगा और ब्रह्मपुत्र के मैदानों में बाढ़ आती है । बाढ़ कि विभीषिका का सर्वाधिक प्रभाव निचले भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित कच्ची बस्तियों के निवासियों पर पड़ता है , जिनमें से अधिकांश गरीबी की रेखा से नीचे जीवयापन करते है  


सूखा - वह प्राकृतिक परिस्थिति जिसने मानव के क्रियाकलापों के परिणामस्वरूप जैव जगत ( पादप - जीव - जंतु ) जलीय आवश्यकताएं अपूर्ण रह जाती है । इस अभाव के कारण उनके जीवन चक्र में अस्थायी व्यवधान उत्पन्न हो जाता है । व्यवधान स्थायी होने पर शुष्कता कहलाता है । किसी क्षेत्र में वर्षा के अभाव , अनियमितता व अनिश्चितता के कारण सूखा पड़ता है । सूखे के कारण व स्वरूप के आधार पर इसे चार वर्गो में बांटा गया है ।


1. किसी क्षेत्र को सामान्य मौसम दशाओं में परिवर्तन के कारण औसत से 25 प्रतिशत से कम वर्षा होने की दशा को मौसम विज्ञानी सूखा कहते है ।  सूखे को अवधि व प्रवणता के आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है । 25 से 50 प्रतिशत कम औसत वर्षा के कारण पड़ने वाले सूखे को सामान्य सूखा तथा 50 प्रतिशत से कम वर्षा होने पर प्रचंड सूखा माना जाता है जो प्रायः अकाल का रूप ले लेता है ।

2. धरातलीय व भू - जल का स्तर गिरने कि स्थिति में जल की अनूउपलब्धता से उत्पन्न जलाभाव को जल वैज्ञानिक सूखा कहते है ।

3. मिट्टी में नमी की कमी के कारण पौधों की वृद्धि बाधित होने की दशा कृषि सूखा कहलाती है ।

4. किसी क्षेत्र के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र के उत्पादकों व उपभोक्ताओं के मध्य स्थापित संतुलन को स्थिति बिगड़ने से पर्यावरण क्षतिग्रस्त हो जाता है । परितंत्र की उत्पादकता में होने वाला यह ह्रास ही परिस्थितिकीय सूखा कहलाता है ।


भू - स्खलन -  भूकम्प की बात तो भविष्य के गर्भ में है , लेकिन बड़े भू - स्खलनो  खतरा प्रत्यक्ष बना रहता है । भागीरथी के ऊपर जलागम में गंगोत्री से 50 कि.मी. नीचे कानोड़िया गाड़ से आए साढ़े तीन कि.मी. लंबे भू - स्खलन ने पांच घंटे के लिए अगस्त 1978 में भागीरथी पर कृत्रिम झील बनाकर रोक दिया था ।  दूसरी झील भू - स्खलन के उदगम के पास ही कानोड़िया गाड़ पर बनी थी । इन दोनों झीलों के टूटने से हुई विनाशलीला के चिन्ह अब भी भागीरथी घाटी में दूर तक विद्यमान है । टिहरी में भागीरथी का तल मलबे के कारण 21 फुट ऊंचा हो गया है।  उस समय तो गंगा के किनारे इलाहाबाद तक के लोगो को सतर्क कर दिया गया था । यह कोई अकेली घटना नहीं है इससे 20 वर्ष पहले भी इसी स्थान से कुछ नीचे ऐसा ही अवरोध हुआ था । इस प्रकार भू - स्खलनो से जानमाल का पर्याप्त नुक़सान होता है तथा ये मानव इस पर्यावरण को क्षति पहुंचाने के परिणामस्वरूप होते है ।

    हिमालय क्षेत्र में बरसात के दिनों में भू - स्खलन एक आम घटना है । इसमें पिछले दशक में सबसे बड़ी दुर्घटना उत्तरी सिक्कम में हुई , जिसमें 125 से अधिक जाने गई । मध्य हिमालय को ही लें तो इसमें डडूवा , तवाघाट , कर्मी , कोंथा , ज्ञानसू , सिखाडी आदि की लंबी सूची है ।  कभी - कभी इसका कारण भूकम्प और वर्षा का एक साथ होना रहा है । वर्षा का प्रकोप कब और कितना भयंकर हो जाता है , इसका कोई पूर्व ज्ञान नहीं । 

https://www.edukaj.in/2020/07/what-is-conservation-of-biodiversity.html

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