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बढ़ते उद्योग, सिकुड़ते वन , बढ़ती जनसंख्या : सिकुड़ते वन , वन रहेंगे , हम रहेंगे , वन और हमारा पर्यावरण , अगर वन न होते , वनों से पर्यावरण संरक्षण
बढ़ते उद्योग, सिकुड़ते वन
1. वनों के लाभ-प्राकृतिक सौंदर्य तथा पर्यावरण संतुलन
प्रकृति का अनुपम उपहार है। इस अमूल्य संपदा के कोष को बनाए रखने की महती आवश्यकता है। पेड़-पौधे तथा मनुष्य एक-दूसरे के पोषक तथा संरक्षक है। जहाँ एक ओर पेड़-पौधे मनुष्य के संरक्षण में उगते हैं, वहीं दूसरी और मानव को भी आजीवन देड-पौधों पर आश्रित रहना पड़ता है। इन वृक्षों पेड़-पौधों अथवा वनों से प्राकृतिक तथा पर्यावरण संतुलन बना रहता है। संतुलित व तथा प्रदूषण से बचाव के लिए भी वनों के संरक्षण को नियंत आवश्यकता है। इतना ही नहीं शस्य श्यामला भूमि को बंजर होने बचाने भू - क्षरण , पर्वत-स्खलन आदि को रोकने में भी वन संरक्षण अनिवार्य होता है। प्रकृतिक सुषमा के घर है। इन्हीं क अनेक वन्य प्राणियों को आश्रय मिलता है।
हमारे देश में तो वृक्षों को पूजने की परंपरा है। हमारी संस्कृति का कार्य माना जाता है तथा किसी फलदार अथवा हरे-भरे वृक्ष को काटना पाप पुराणों के अनुसार एक वृक्ष लगाने से उठना हो पुल पुढे का खेद का विषय है कि आज हम वन संरक्षण के प्रति उसीहोर कर उनको कटाई करके अपने पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं, जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है।
https://www.edukaj.in/2023/02/hydrogen-train.html
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