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वायु प्रदूषण निबंध, वायु प्रदूषण क्या है?
वायु प्रदूषण से आप क्या समझते हैं? वायु प्रदूषण के कारणों को समझाइये तथा वायु प्रदूषकों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिये। What do you understand by Air Pollution. Explain the causes of Air Pollution and describe various types of Air Pollutants.
वायु में O, CO,, Ar, Ne, H, He, मेथेन (Methane) आदि की मात्रा निश्चित होती है। जो मनुष्य जीवन के लिये उपयोगी होती है। यदि किन्हीं कारणों से इन निश्चित मात्राओं में परिवर्तन हो जाये तब ये जीवधारियों, वनस्पतियों तथा मनुष्य जीवन पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। इस वायु के मिश्रण में अवयवों की मात्रा, अनुचित हो जाना अथवा अन्य पदार्थों का समावेश हो जाना वायु प्रदूषण 128 / अंतर्राष्ट्रीय संबंध कहलाता है।
वायु मण्डल में जीवधारी ऑक्सीजन यथा, कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा संतुलित रखते हैं। श्वसन में सभी जीव कार्बन डाइऑक्साइड निकालते हैं तथा ऑक्सीजन लेते हैं, किन्तु हरे पौधे सूर्य के प्रकाश में कार्बन डाई ऑक्साइड का उपयोग कर ऑक्सीजन वायु में डालते हैं।
वायु प्रदूषण के कारण वायू प्रदूषण निम्नलिखित कारणों से होता है
1. धुओं तथा ग्रिट के कारण (Smoke and Grit)- ताप बिजलीघरों, कारखाना की चिमनियां और घरेलू ईंधन को जलाने से धुआं निकलता है। घरों में मुक्त रूप से बिना जला हुआ कार्बन, हाइड्रोकार्बन, CO,, Co आदि होते हैं, जो वायु में मिलकर वायु को दूषित करते हैं।
2. कृषि कार्यों के कारण फसलों को कीट-पतंगों आदि से बचाने के लिए कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जाता है। इस छिड़काव से विषैले रसायन, वाष्प और सूक्ष्म कणों के रूप में वायुमंडल के विस्तृत क्षेत्र में फैलकर वातावरण को दूषित करते हैं।
3. ऑटोमोबाइल और मशीनों के कारण स्वचालित गाड़ियों जैसे बस, ट्रक, मोटर तथा अनेक प्रकार की मशीनों आदि के चलाने में पैट्रोल, डीजल तथा मिट्टी को तेल ईंधन के रूप में प्रयोग होता है। जिनके जलने से CO2, CO, SO तथा नाइट्स ऑक्साइड, सीसा और अन्य विषैले गैसें उत्पन्न होती हैं जिससे वातावरण दूषित होती है।
4. मृत जीव जन्तुओं और मल-मूत्र के कारण मृत जीव जन्तुओं को यदि सही समय पर सही रूप से नष्ट न किया जाये तो इनके द्वारा ओजोन CO, SO, तथा क्लोराइड मुख्य रूप से उत्सर्जित होते हैं जिनके प्रभाव से हरे-भरे पौधे नष्ट हो जाते हैं तथा उनका विकास नहीं हो पाता है या इनके द्वारा बने फल एवं फूल मुरझा जाते हैं।
5. धूल के कण- लौह अयस्क और कोयलों की खानों से उड़ती हुई धूल कई विषैले खनिज होते हैं जिनसे अनेक प्रकार के रोग बढ़ते हैं।
6. विलायकों के प्रयोग से फर्नीचर, पालिश स्प्रे, पेण्ट आदि के बनाने और प्रयोग करने में कई प्रकार के विलायकों का प्रयोग किया जाता है। जिनमें अधिकांश विलायकों में उड़नशील, हाइड्रोकार्बनिक पदार्थ होते हैं। जो कि वाष्प अथवा सूक्ष्म कणों के रूप में वायु में मिलकर वायु के मिश्रण में अवयवों की मात्रा में परिवर्तन करते हैं। जिससे वातावरण प्रदूषित होता है।
वायु प्रदूषकों के प्रकार (Types of air pollutants)-प्रकृति में वायु के अवयवों की संतुलित अवस्था में कोई भी अवांछनीय परिवर्तन जाये तथा इसके फलस्वरूप जीव-जन्तुओं, पौधों, भवनों तथा अन्य वस्तुओं पड़े वायु प्रदूषण कहलाता
प्रदूषक-इस प्रकार प्रदूषक, रासायनिक अथवा अन्य पदार्थ हैं, वातावरण स्वाभाविक को बदल देते प्रदूषकों की अवस्था के आधार पर प्रदूषक, मुख्यतया दो प्रकार होते
1. गैसीय प्रदूषक वायु मिश्रित वे प्रदूषक हैं, कि गैसीय अवस्था नीचे नहीं बैठते उन्हें गैसीय प्रदूषक कहा जाता प्रदूषक कार्बनिक अकार्बनिक गैसों रूप होते हैं। जैसे कार्बन डाइऑक्साइड मोनॉक्साइड सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), अमोनिया (NH), हाइड्रोकार्बन, ऐल्कोहॉल, आदि।
विविक्त प्रदूषक (Particulars plllutants) मिश्रित प्रदूषक जो कि द्रव अथवा ठोस अवस्था में हैं तथा कुछ समय पश्चात् पृथ्वी की पर आ जाते उन्हें विविक्त प्रदूषक कहा जाता है। जैसे धूल, कोहरा आदि
विर्विक्त प्रदूषक (Particulate Pollutants)-विभिन्न प्रकार के विर्विक्त वायु प्रदूषकों का संक्षिप्त वर्णन नीचे किया गया है।
धूल (Dust)- जब कल-कारखानों, खेतों या प्रकृति आदि ठोस वायु में मिश्रित हो जाते हैं, तो भूल बनती है। वायु मिश्रित इन ठोस कणों की स्रोत पर निर्भर करती है तेज हवायें चलती हैं, मिट्टी के महीन कण में मिलते हैं, खेतों में कीटाणुनाशक से दवा कण वायु मिलते इत्यादि।
धुआं (Smoke)- कार्बन, राख, तेल आदि के महीन कणों धुआं बनता ईंधन का पूर्ण दहन नहीं होता है अर्थात् दहन प्रक्रम में वायु (ऑक्सीजन) होती है धुआं बनता है। धुएं की मात्रा ईंधन की प्रकृति पर निर्भर करती है जैसे, कोयले के जाने पर अधिक धुआं बनता है जबकि पेट्रोल को जलाने पर बनता है। औद्योगिक कारखानों से लगभग 30% और घरेलू ईंधन (Domestic के जलाने से लगभग 10% धुआं वातावरण मिल जाता है। वातावरणीय का 10-15% केवल धुएं के कारण होता है।
धूम (Fumes) रासायनिक एवं धातु कर्मी प्रक्रम जैसे ऊर्ध्वपात (sublimation), (distillation), (calcination) वाष्प के फलस्वरूप ठोस कण बनते हैं कि धूल बनाते हैं।
धुन्ध (Smog)- धूएँ तथा कोहरे के संयोग से स्मोग बनता है। हम जानते है कि कोहरे का बनना एक प्राकृतिक परिघटना है जिसमें जल के महीन कण वागू में निलम्बित रहते हैं। ऐसी स्थिति में जब धुएँ के कण भी वायु में विद्यमान हो जाते हैं, तो स्मॉग बनता है।
ऐरोसील (Aerosols) वायु में विविक्त कण निलम्बित होते हैं तो ऐसोस बनाते हैं। इन निलम्बित कणों की प्रकृति इसके स्रोत पर निर्भर करती है। जैसे रेशेदार तन्तुमय पदार्थ अपने स्रोत के आसपास ही एकत्र हो जाते हैं जबकि महीन कण वायु में प्रयाप्त समय तक निलम्बित रहते हैं यह महीन कण वायु में विद्यमान विषैली गैसो को अवशोषित करते हैं परंतु वर्षा के समय या जब यह कण भारी हो जाते हैं जिसके फलस्वरूप मृदा प्रदूषक Soil Pollution होता है।
उपरोक्त वर्णन के आधार पर कहा जा सकता है कि विविध पदार्थों के कारण वायु प्रदूषण की प्रकृति एवं मात्रा अग्रलिखित चार कारकों पर निर्भर करती है
(1) वायु में विविक्त कणों का सान्द्रण,
(2) कणों के आकार,
(3) विविक्त कणों की रसायनिक प्रकृति,
(4) कणों की बैठ जाने की दर
यह ध्यान रखने योग्य है कि वायु प्रदूषण जबतक अपने भार के कारण पृथ्वी पर नहीं आ जाते (बैठ जाते) वायु प्रदूषण बना रहता है। यदि प्रदूषक कणों का आकार (व्यास) 1.01 माइक्रो मीटर से कम होता है, तो वह वायु में निलम्बित हो रहते हैं जब तक कि वह स्कदित (Coagulate) होकर नीचे न बैठ जायें। जिन कणों का आकार 10 माइक्रो मीटर से अधिक होता है वे शीघ्र ही नीचे बैठ जाते हैं।
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