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क्रांतिकारी भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव की पूरी जानकारी
क्रांतिकारी भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव की पूरी जानकारी
आज इस पोस्ट में हम अपने महान नौजवान क्रांतिकारियों के बारे में जानेंगे । दुनिया भर में जब भी अपने देश के लिए जान कुर्बान करने वाले नौजवानों की बात आती है तो शाहिद - ए - आज़म सरदार भगत सिंह और उनके साथियों राजगुरु और सुखदेव का नाम सबसे पहले आता है ।
भगत सिंह
भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर 1907 को बंगा जिले में हुआ था । भगत सिंह की माता का नाम विद्यावती और पिता जी का नाम किशन था । भगत सिंह के दो चाचा थे जिनका नाम अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह था । भगत सिंह ने 1923 में लाहौर के नेशनल कॉलेज में एडमिशन लिया । 1919 13th अप्रैल जलियां वाला हत्या कांड हुआ था । भगत सिंह ने मार्च 1926 में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हुए , जिसके फाउंडर थे नौजवान भारत सभा । चंद्रशेखर आज़ाद व अन्य पार्टियों के साथ मिलकर स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश सरकार से मुकाबला किया। जब भगत सिंह 12 साल के थे तब जलियांवाला बाग़ हत्या कांड हुआ था वह अपने स्कूल से 12 किलोमीटर पैदल चलकर बाग पंहुचे और वहां की मिट्टी को बोतल में लेकर घर वापस आए ।
उनके दल के प्रमुख क्रांतिकारी में चंद्रशेखर , सुखदेव , राजगुरु आदि शामिल थे । भगत सिंह ने लाला लाजपतराय के साथ साइमन कमीशन वापस जाओ के नारे लगाकर प्रदर्शन किया गया । इसी बीच लाठी चार्ज के कारण लाला लाजपतराय को चोट आई और अस्पताल में मृत्यु हो गई । लाला लाजपतराय की मृत्यु चंद्रशेखर आज़ाद , भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव को बहुत दुख हुआ । लाला लाजपतराय की मृत्यु का बदला लेने के लिए पहले लाहौर में बर्नी सैंडर्स की हत्या की फिर दिल्ली की केंद्रीय संसद में बम विस्फोट करके इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए । असेंबली में बम फेंकने के बाद वह वहां से भागे नही । जिसके बाद अंग्रजी सरकार ने इन्हे पकड़ लिया ।
26 अगस्त 1930 को अदालत ने भगत सिंह को अपराधी करार दिया । 7 अगस्त 1930 को अदालत द्वारा राजगुरु , सुखदेव और भगतसिंह को फांसी की सजा सुनाई गई । जेल में भगत सिंह 2 साल तक रहे । इस दौरान वह लेख लिखकर क्रांतिकारियों का विचार व्यक्त करते रहे ।
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24 मार्च 1931 को फांसी का दिन तय किया गया पर फांसी 23 मार्च 7 बजकर 33 मिनट पर ही दे दी गई । भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव फांसी पर जाते समय तीनो मस्ती में गा रहे थे ।
' मेरा रंग दे बसंती चोला , मेरा रंग दे ।
सुखदेव
सुखदेव का पूरा नाम सुखदेव थापर था । इनका जन्म 15 मई 1907 को हुआ था । सुखदेव एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे । सुखदेव के भीतर भी भगत सिंह की तरह बचपन से ही आजादी की भावना थी । सुखदेव का जन्म पंजाब के लुधियाना शहर में हुआ था । इनकी माता का नाम श्रीमती रल्ली देवी और पिता का नाम श्री रामलाल थापर था । सुखदेव ने ही लाला लाजपतराय जी से मिलकर चंद्रशेखर आज़ाद जी से मिलने की चाह दिखाई थी। सुखदेव ने लाला लाजपतराय की मृत्यु का बदला लिया था । सुखदेव और भगतसिंह दोनो एक ही कॉलेज के छात्र थे । भगतसिंह और सुखदेव का जन्म एक ही वर्ष पंजाब में हुआ और दोनो एक साथ ही शाहिद हो गए । आज पूरे भारत में इन्हे और इनके बलिदान को सम्मान पूर्ण देखा जाता है ।
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लाला लाजपतराय जी की मृत्यु का बदला लेने के लिए साण्डर्स को मौत के घाट उतारने में इन्होंने राजगुरु और भगतसिंह का पूरा साथ दिया । जेल में कैदियों के बीच भी आजादी की भावना उजागर करते रहे ।
राजगुरु
राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1908 , पुणे जिले के खेड़ा गांव में हुआ था । इनका पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरु था । इनके पिता का नाम श्री हरि नारायण और माता का नाम पार्वती बाई था । पिता के निधन के बाद संस्कृत में अध्ययन करने के लिए वाराणसी चले गए । राजगुरु को कसरत करने का बहुत शौक था क्योंकि इनके दिमाग में छत्रपति शिवाजी जी छवि बनी हुई थी । जब में थ वाराणसी में संस्कृत का अध्ययन कर रहे थे तो इनकी पहचान बहुत से क्रांतिकारियों से हुआ । चंद्रशेखर आज़ाद से इतने ज्यादा प्रभावित हुए ही तुरंत उनकी सभा हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के साथ जुड़ गए । चंद्रशेखर आज़ाद की पार्टी में इन्हे रघुनाथ के नाम से जाना जाता था । राजगुरु एक अच्छे निशानेबाज भी थे । लाला लाजपतराय का बदला लेने के लिए साण्डर्स को मौत के घाट उतारने में इन्होंने भगतसिंह और सुखदेव का पूरा साथ दिया था ।
https://www.edukaj.in/2022/06/1857_7.html
23 मार्च 1931 को इन्होंने भगत सिंह और सुखदेव के साथ भारत की आजादी के लिए हस्ते हस्ते लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी के फंदे से झूलकर शहीद हो गए ।
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