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What is the right in the Indian constitution? Or what is a fundamental right? भारतीय संविधान में अधिकार क्या है ? या मौलिक अधिकार क्या है ?

 

भारतीय संविधान में अधिकार क्या है  ? या मौलिक अधिकार क्या है ?

 

दोस्तों आज के युग में हम सबको मालूम होना चाहिए की हमारे अधिकार क्या है , और उनका हम किन किन बातो के लिए उपयोग कर सकते है | जैसा की आप सब जानते है आज कल कितने फ्रॉड और लोगो पर अत्याचार होते है पर फिर भी लोग उनकी शिकायत दर्ज नही करवाते क्यूंकि उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी ही नहीं होती | आज हम अपने अधिकारों के बारे में जानेगे |

 

अधिकारों की संख्या


आप जानते है की हमारा संविधान हमें छ: मौलिक आधार देता है , हम सबको इन अधिकारों का सही ज्ञान होना चाहिए , तो चलिए हम एक – एक करके अपने अधिकारों के बारे में जानते है
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1.   समानता का अधिकार

जैसा की नाम से ही पता चल रहा है समानता का अधिकार मतलब कानून की नजर में चाहे व्यक्ति किसी भी पद पर या उसका कोई भी दर्जा हो कानून की नजर में एक आम व्यक्ति और एक पदाधिकारी व्यक्ति की स्थिति समान होगी | इसे कानून का राज भी कहा जाता है जिसका अर्थ हे कोई भी व्यक्ति कानून से उपर नही है |

सरकारी नौकरियों पर भी यही सिद्धांत लागु होता है | सरकार में किसी भी पद पर नौकरी के मामले में सभी नागरिको के लिए समान अवसर है | अब आप कहेंगे की भारत सरकार ने अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था क्यों की है , ऐसा इसलिए है क्यूंकि समानता का मतलब है हर आदमी को उसकी क्षमता के अनुसार काम करने का समान अवसर उपलब्ध कराना है | कुछ लोगो को विशेष अवसर देना जरुरी होता है और आरक्षण यही करता है | इसी बात को साफ़ करने के लिए संविधान कहता है , की इस तरह का आरक्षण समानता के अधिकार का उल्लंघन नही है |

 



 

2.   स्वंतन्त्रता का अधिकार

जैसा की नाम से ही पता चल रहा है स्वंतन्त्रता मतलब किसी भी तरह की बाधा या दखल न होना ना किसी व्यक्ति की ना ही सरकार की | हम समाज में स्वंतंत्र रूप से रहना चाहते है | भारतीय संविधान ने प्रत्येक नागरिको को कई तरह की स्वतंत्रताएँ दी है |

·      अभिव्यक्ति की स्वंतन्त्रता

·      शांतिपूर्ण ढंग से जमा होने की स्वंतन्त्रता

·      संघठन और संघ बनाने की व्यवस्था

·      देश में कंही भी आने जाने की स्वंतन्त्रता

·      देश के किसी भी भाग में रहने की स्वंतन्त्रता

·      कोई भी काम करने , धंधा चुनने या पेशा करने की स्वंतन्त्रता

यानि हर नागरिक को स्वंतन्त्रता प्राप्त है | इसका मतलब यह है की आप अपनी स्वंतन्त्रता का ऐसा उपयोग नही कर सकते जिससे दुसरे की स्वंतन्त्रता का हनन न हो |

 

3.   शोषण के खिलाफ अधिकार

जैसा की हमने उपर दो अधिकारों के बारे में जाना है , स्वतंत्रता और समानता का अधिकार मिलने के शोषण का अधिकार संविधान में होना स्वाभाविक है |

 

हमारे संविधान में निर्माताओ ने इस अधिकार को लिखित रूप से दर्ज करने का फैसला किया ताकि कमजोर वर्गों का शोषण न हो सके | संविधान ने ख़ास तौर से तीन बुराईयों का जिक्र किया है और इन्हें गैर क़ानूनी घोषित किया है |

पहला  , संविधान मनुष्य जाति के अवैध व्यापार का विरोध करता है | ज्यादातर ऐसे व्यापार का शिकार महिलायें होती है | जिनका अनैतिक कामो के लिए शोषण होता है |

दूसरा , हमारा संविधान किसी तरह के “ बेगार “ या जबरन काम करवाने का विरोध करता है | बेगार का मतलब होता है मजदूरो को अपने मालिक के लिए मुफ्त  या बहुत थोड़े अनाज वगैरह के लिए जबरन काम करना पड़ता है |

तीसरा , हमारा संविधान “ बाल मजदूरी “ का भी निषेध करता है | किसी भी कारखाने , रेलवे या बंदरगाह जैसे खतरनाक काम में कोई भी 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे से काम नही करा सकता |

 

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4.   धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

स्वतन्त्रता के अधिकार में धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार भी शामिल है इस माले में भी हमारे संविधान निर्माता काफी चौकस थे | जैसा की हम सब जानते है भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है | विश्व के एनी देशो के समान भारत में अधिकांश लोग धर्म को मानते है | और विश्व में कुछ लोग ऐसे भी है जो किसी भी धर्म को नही मानते |

हर किसी को अपना धर्म मानने, उस पर विचार करना उसका प्रचार करना का अधिकार है | सभी धार्मिक समूहों को अपने धर्मिक कामकाज का प्रबन्धन करने की आजादी है , पर अपने धर्म का प्रचार करने का मतलब यह नही है की हम किसी के साथ फरेब , धोखा , या लालच देकर धर्म परिवर्तन करवा दिया जाये | बल्कि भी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार धर्म परिवर्तन कर सकते है |

 




5.    सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार

इस अधिकार के तहत किसी भी वर्ग के नागरिको को अपनी संस्कृति सुरक्षित रखने , भाषा या लिपि बचाए रखने का  अधिकार , अल्पसंख्यको वर्गो की हितो का संरक्ष्ण | शिक्षा संस्थाओ की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यको वर्गो का अधिकार |

 

 

6.   संवैधानिक उपचार का अधिकार

संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार महत्वपूर्ण है | इसीलिए हमें उपर्युक्त अधिकारों को लागु करने की मांग करने का अधिकार है , हमारे पास उन्हें लागु कराने का उपाय है | इसे ही संवैधानिक उपचार का अधिकार कहा जाता है | यह भी एक अधिकार है |

इस अधिकार को बनाना बहुत आवश्यक था क्यूंकि कई बार हमारे अधिकारों का उल्लंघन कोई और नागरिक , संस्था या फिर खुद सरकार ही करती है | इसी लिए डॉ आंबेडकर ने संवैधानिक उपचार के अधिकार को हमारे संविधान की ‘ आत्मा और हृदय ’ कहा था |



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